क्या सच में हम स्वतन्त्र हैं ? स्वतन्त्र होने की जिम्मेदारी
{इस प्ले को कोई भी इस्तेमाल कर सकता है | यदि चाहे तो कुछ सुधार के साथ भी इस्तेमाल कर सकते है | बस ध्यांन रहे की लेखक को क्रेडिट जरूर दें , धन्यवाद | – चंद्रभूषण सिंह , लेखक}
—————–पहले पहले दृश्य में ————
एक तरफ से तीन अंग्रेज आएंगे और उनमें से एक कहेगा कि –
पहला अंग्रेज : ” ये इंडियन हमेशा आजादी की बात करते रहते हैं, लेकिन देश को कैसे चलाना है इसके बारे में इनको न कुछ पता है और ना ही कोई इसके बारे में कुछ सोचता है | “
दूसरा अंग्रेज कहता है : “हमारा शासन कितना अच्छा चल रहा है और हम कितने अच्छे से इन इंडियंस पर शासन कर रहे हैं | अच्छी बात यह है कि हमारे शासन में ज्यादातर लोग खुश हैं, केवल कुछ ही लोग हैं जो हमारा शासन नहीं चाहते हैं. भोली – भाली जनता को इन्होने सच जानने नहीं दिया |”
दूसरी तरफ से 6 भारतीय आते हैं और कहते हैं –
पहला भारतीय अंग्रेजों से कहता है : “हमारे देश को छोड़कर चले जाओ, हम खुद यहां पर शासन करेंगे और जब हम अपने लोगों पर यदि शासन करेंगे तो भाई-चारे के साथ रहेंगे और सब का ख्याल रखेंगे | आप लोग हम पर जुल्म ढा रहे हैं और यहाँ का सारा पैसा अपने देश में लेकर जा रहे हो | तुरंत यह देश छोड़कर चले जाओ | “
दूसरा अंग्रेज कहता है – “अरे मूर्खों, तुम क्या सोचते हो कि हम इतनी आसानी से यहाँ से चले जाएंगे | हम यह देश नहीं छोड़ेंगे, हमने बड़े मुश्किल से इस देश पर राज किया है | इसे हम किसी भी हालत में नहीं छोड़ेंगे |”
—————-अगले दृश्य में ————
अंग्रेजों और भारतीयों में लड़ाई हो जाती है, जिसमें केवल दो भारतीय लड़ाई में शामिल होते हैं | बाकी 4 इस लड़ाई में शामिल नहीं होते हैं और इस दृश्य में अंग्रेज दो भारतीयों को अपनी गन से मार देते हैं और इस लड़ाई में एक अंग्रेज भी मारा जाता है |
अब बचा हुआ अंग्रेज बाकी लोगों से यह कहता है : “तुम लोग भी यहां से भाग जाओ, हम इस देश को छोड़ने वाले नहीं हैं | नहीं तो तुम लोग भी मारे जाओगे |”
लेकिन बचा हुआ अंग्रेज अपनेआप से कहता है : “हमारे साथी इस देश में रोज मारे जा रहे हैं, अब इस देश में शासन करना मुश्किल हो रहा है | लगता है, जल्द ही हमें इस देश को आज़ाद करना होगा |”
बचे भारतीय लोगों का नेता यह कहता है (वह गांधी जी के वेश में होता है): “हम आपसे लड़ने के लिए नहीं आए हैं, हम तो यहां पर धरने पर बैठेंगे, शांति पूर्वक प्रदर्शन करेंगे और जब तक आप हमारे देश को छोड़कर नहीं जाएंगे, हम अहिंसा की लड़ाई आपसे लड़ते रहेंगे|” और वे सभी वहीं पर धरने पर बैठ जाते हैं और नारा लगाते हैं – “अंग्रेजों भारत छोड़ो, अंग्रेजों भारत छोड़ो”|
ऐसे में अंग्रेज बहुत परेशान नज़र आता है
अब अंग्रेज कहता है : “मैं आपके इस धरना-प्रदर्शन से तंग आ गया हूं | अब लगता है, इस देश को छोड़ने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं है, लेकिन मैं पूंछना चाहता हूँ कि क्या आप अपने देश को चला लेंगे? आपके देश में तो कोई भी आपकी बात मानने को तैयार नहीं है | सब अपनी मर्जी से काम करना चाहते हैं, जिसके जो मन में आता है, वह वही कर रहा हैं | हमारे जाने के बाद अराजकता फैल जाएगी, यहां पर भुखमरी और अकाल हो जाएगा, जंगल नष्ट हो जायेंगे, सब जगह गन्दगी होगी, भ्रष्टाचार होगा, एक दूसरे को जान से मारेंगें |”
भारतीयों की तरफ से उनका नेता कहता है – “इसकी चिंता आप मत कीजिए | हमारे बीच में कई योग्य नेता हैं जो कि देश को चलाने की क्षमता रखते हैं और वे इस ऋषियों के महान देश को एक नई दिशा देंगे |”
अंग्रेज कहता है : “ठीक है फिर हम इस देश को कुछ ही दिनों में छोड़कर चले जाएंगे और इतने में ही अंग्रेज स्टेज छोड़कर चला जाता है |”
दूसरा अंग्रेज स्टेज पर आता है और एक पेपर पढ़ता है – “मैं ब्रिटैन की महारानी का आदेश आपको सुनाता हूँ, हम ब्रिटिश इस देश को 15 अगस्त 1947 को आज़ाद कर रहे हैं | यह देश अब आपका अपना है, आप अपने देश को जैसा चाहते हैं वैसे चलाइए |”
अगले दृश्य में नेहरू जी आते हैं और लोगों को संबोधित करते हैं
“मेरे प्यारे देशवासियों, आपने मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी है, मैं उस जिम्मेदारी का निर्वहन बड़ी ईमानदारी और निष्ठा से करूंगा | लेकिन मैं यह काम अकेले नहीं कर सकता हूं | इस देश को चलाना मेरे अकेले के बस की बात नहीं है | मैं यह चाहता हूं कि आप सभी इस देश को महान बनाने में मेरा सहयोग दें | मैं आपसे यह अपेक्षा करता हूं कि आप कम से कम अपना काम ईमानदारी और लगन से करें | अपने घर तथा आस-पड़ोस को साफ सुथरा रखें, वृक्षों (पेड़ों) को अनावश्यक ना काटे, जंगलों को नष्ट ना करें, पानी बर्बाद ना करें | ऐसा नहीं करने से बहुत सारी समस्याएं आ सकती हैं | इसलिए आप सभी लोगों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि आप अपनी जिम्मेदारी को समझें, जिससे देश प्रगति कर सकें और साथ ही आप का भी विकास हो |”
अगले दृश्य में एक भारतीय अपने घर के सामने कचरा फेंकता है (जिसमें केले के छिलके भी होते हैं) और अपनेआप में ही कहता है : “अब मैं कहीं भी कचरा फेंक सकता हूं, अब मैं स्वतंत्र हूं, मेरा देश स्वतंत्र है, मैं कुछ भी कर सकता हूं, मेरा कोई क्या बिगाड़ सकता है” |
इस दृश्य में कुछ लोग वहां से गुजरते हैं और गंदगी को देखकर उससे कहते हैं : “तुमने यह गंदगी क्यों फैला रखी है, यह तो तुम्हारे लिए शर्म की बात है कि तुम अपने घर के सामने ही इतनी ज्यादा गंदगी फैला रहे हो | तुम चाहे तो इसे कचरे के डब्बे में भी फेंक सकते हो | तुम्हारे इस कार्य से हमारा शहर और हमारा देश गंदा हो रहा है |
घर में रहने वाला आदमी यह कहता है – “देखो भाइयों, मुझे क्या करना है और कैसे करना यह मेरा मामला हो | तुम मुझे कुछ नहीं कह सकते क्योकि अब मेरा देश स्वतंत्र है | इसलिए अब मैं भी स्वतंत्र हूं, मैं जो चाहे कर सकता हूं, जहां चाहे कूड़ा-कचरा फेंक सकता हूं, मुझे कोई नहीं रोक सकता है | मुझे आपकी सफाई से कोई लेने – देना नहीं है |
फिर से वही लोग उस घर वाले से कहते हैं – “हमारा देश तो जरूर स्वतंत्र हो गया है, लेकिन हमें हमारे अधिकार के साथ अपने कर्तव्य भी जानना चाहिए | यदि हम अपने अधिकार चाहते हैं तो तो हमें अपने कर्तव्य को जानना चाहिए और उसका भी पालन करना चाहिए | हमें अपने आस-पड़ोस को स्वच्छ रखना चाहिए जिससे कि कोई बीमारी ना हो और हमारा शहर और हमारा देश गंदा ना हो | विदेशी लोग भी जब हमारे देश आते तो हमारे देश की तारीफ़ करें नकि हमारे देश को या शहर को गंदा ना कह सके|”
घर वाला आदमी कहता है – “जाओ यहाँ से, मुझे तुम्हारे उपदेश की कोई जरूरत नहीं है, मुझे न सिखाओ कि मुझे क्या करना है और क्या नहीं | मुझे सब पता है, अगर तुम्हें इतना ही गंदा लग रहा है तो खुद ही साफ कर दो | मैं तो हमेशा ही इसी तरह कचरा फेकता हूं और बाद में भी ऐसे ही करूंगा | मेरा कोई क्या बिगाड़ लेगा | “
अगले ही दृश्य में घर वाले का एक बच्चा केले के छिलके में फिसल कर गिर जाता है. इस घटना पर वह बच्चा कहता है “पता नहीं कौन बेवकूफ यहां पर केले के छिलके और कूड़ा करकट फेक जाता है जिससे मुझे चोट लग गई.”
अगले दृश्य में घर वाले का एक बच्चा बीमार होता है और खांसते हुए सीन में आता है और लेट जाता है, फिर उसके बाद सारे घर वाले परेशान से दिखते हैं और कहते हैं : “हमारा बच्चा फिर से कैसे बीमार हो गया, हमेशा ही बीमार हो जाता है | पता नहीं क्या हो गया, हम भी हमेशा ही बीमार रहते हैं | हमेशा डॉक्टर के पास ही जाते रहते हैं और सारे पैसे इलाज कराने में ही खर्च हो जाते है, पता नहीं क्या हो गया है हमें| अंग्रेजो का जमाना ही ठीक था जब बीमारियां कम होती थी | “
वहीं से एक डॉक्टर गुजरता है और कहता है – “क्या हुआ भाई, क्यों परेशान हो| लगता है कोई बड़ी मुसीबत में हो”
घरवाला आपनी परिस्थिति डॉक्टर से बताता है और कहता है : “मेरे घर के सारे लोग हमेशा बीमार रहते हैं, इलाज कराते-कराते हम लोग थक गए हैं | अब हमारे पास अब कुछ पैसा भी नहीं बचा है, सारे पैसे इस बीमारी में ही लग जाते हैं | “
डॉक्टर कहता है – “देखो इस मोहल्ले में बहुत सारे लोग रहते हैं, लेकिन यह लोग बीमार नहीं पड़ते | तुमने कभी यह सोचा कि ये लोग तो बीमार नहीं रहते हैं और तुम्हारा परिवार ही क्यों बीमार रहता है | “
घर वाला कहता है : “नहीं, मैंने इसके बारे में तो कभी सोचा ही नहीं और मैं तो अनपढ़ हूं, तो मैं ज्यादा सोच भी नहीं सकता | “
डॉक्टर कहता है : “देखो मैं तुम्हें बताता हूं, कोई भी बीमारी अपने आप नहीं आती है | यह या तो आपके गंदे खान-पान से आती है या आपके आस – पास गंदी जगह हो तो उसके पास रहने से आती है | खानपान तो तुम अच्छा करते हो लेकिन तुमने शायद यह नहीं देखा कि तुमने अपने आसपास कितनी गंदगी कर रखी है | इसमें गंदी मक्खियां आकर बैठती है और फिर यही मख्खियां तुम्हारे खाने में बैठ जाती हैं और पूरे खाने को गंदा कर देती हैं, जिससे तुम्हारे शरीर के अंदर गंदगी और कीटाणु चले जाते हैं और इसी वजह से तुम सभी लोग बीमार हो जाते हो | यदि तुम अपने आसपास साफ-सफाई रखो तो इस तरह की बीमारी तुम्हे कभी भी नहीं होगी, ना ही तुम्हारे बच्चों को कोई बीमारी होगी | इसलिए तुम अपने आस-पास सफाई रखो, कूड़ा-कचरा वहीं पर डालो जहां पर इसके लिए जगह बनाई गई है | ऐसा करने से न तो तुम बीमार पड़ोगे और ना ही तुम्हारे कोई पड़ोसी बीमार पड़ेंगे| “
घर वाला कहता है : “आपने मेरी आंखें खोल दी, अब मैं समझ गया हूं कि साफ-सफाई रखने से कितना फायदा होता है और अब मैं अपने घर के सामने और आस – पास कभी भी गंदगी नहीं करूंगा, जितना भी कूड़ा कचरा होता है मैं सब सही जगह पर ही डालूंगा | “
उसके अगले सीन में घर वाला सामने पड़ा कचरा साफ़ करता है और उसे सही जगह पर डाल देता है
अगले ही सीन में उसके बच्चे स्वस्थ हो जाते हैं और हंसी-हंसी खेलने लगते हैं |
घर वाला आदमी सबको सम्बोधित करता है – “अब मेरे सारे बच्चे स्वथ्य हो गए और अब कोई बीमारी भी नहीं होती | साफ़ – सफाई रखने से कितना फायदा होता है | अब मै जगह – जगह जाकर लोगों को साफ़ – सफाई रखने के फायदे के बारे बताऊंगा | “
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दूसरा दृश्य
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इस दृश्य में एक आदमी पेड़ काट रहा होता है और बड़ा खुश रहता है, कुछ अपनेआप में गुनगुनाता रहता है, गाने गाता रहता है |
कुछ लोग वहां से गुजरते हैं और उसे कहते हैं – “तुम इतने सारे पेड़ क्यों काट रहे हो, वैसे भी हमारे देश में जंगल कम हो रहे हैं और लगातार पेड़ों की संख्या घटती चली जा रही है |”
पेड़ काटने वाला आदमी कहता है : “मैं तो पेड़ काट कर इसकी लकड़ियों को बेचता हूं और खूब पैसे कमाता हूं | पेड़ तो होते ही हैं इसीलिए है कि इन्हें काटकर बेचा जाए और पैसे कमाए जाएं | तुम सब लोग मुझे यह उपदेश देने वाले कौन होते हो | मेरी जो मर्जी मैं करूंगा, आप मुझे रोक नहीं सकते हो क्योकि आज मेरा देश स्वतंत्र है, इसलिए मैं भी स्वतंत्र हूं जो चाहे कर सकता हूं | मै चाहे एक पेड़ काटूँ या सारे पेड़ काट डालूं किसी का क्या जाता है |”
दूसरे लोग कहते हैं : “तुम अपने पेड़ जरूर काट रहे हो, लेकिन इसका खामियाजा तुम्हारे साथ सभी को भुगतना पड़ेगा | यदि पेड़ और जंगल नहीं रहेंगे, तो अचानक बाढ़ आ सकती है, प्रदूषण फैल सकता है और पानी की भी कमी हो सकती है | ऐसा होने से तुम्हें और तुम्हारे परिवार को भी पानी नहीं मिलेगा, साथ ही तुम्हे कई प्रकार की बीमारियां घेर लेंगी, जिससे तुम्हारा कमाया हुआ पैसा उन बीमारियों का इलाज करने में ही चला जाएगा और यह पैसा किसी काम का नहीं रहेगा | इसलिए मै तुमसे रिक्वेस्ट करता हूँ कि जरूरत से ज्यादा पेड़ न काटो और ज्यादा से ज्यादा नए पेड़ लगाओ जिससे जंगल बढ़ सके | “
पेड़ काटने वाला आदमी कहता है : “जाओ-जाओ मुझे उपदेश न दो, बड़े आएं हैं, मुझे सिखाने वाले | मैं अपने अधिकार जानता हूं | मेरा देश अब स्वतन्त्र है और मेरे पेड़ हैं, मैं जो चाहे इनका कर सकता हूं कोई क्या कर लेगा | मैं पेड़ तो काट लूंगा ही और इससे पैसे भी कमा लूंगा |”
अब दृश्य बदलता है और लकड़ी काटने वाला आदमी बहुत ही परेशान होकर बैठा रहता है | अपनेआप से कहता है : “सारी की सारी परेशानियां मेरे ऊपर ही क्यों आकर गिरती हैं | पिछले साल बाढ़ आ गई थी और मेरा घर बह गया था, उसी में मेरा एक बच्चा भी बह गया था जो आज तक नहीं मिला | अक्सर मेरे घरवाले बीमार रहते हैं और मेरा सारा पैसा इसी तरह इन बीमारियों के इलाज में चला जाता है और साथ ही साथ पीने का पानी भी बहुत दूर से लाना पड़ता है जो कि पहले यही पास में ही मिल जाया करता था |”
कुछ लोग वहीं पास से गुजर रहे होते हैं और उस घर वाले से पूछते हैं : “क्यों परेशान हो भाई |” वह सिर उठा कर ऊपर देखता है तो वे उसे जाने-पहचाने चेहरे नजर आते हैं | वह पहचान जाता है और कहता है : “आप तो वही लोग हैं न जिन्होंने मुझे पेड़ काटने से मना किया था |”
वह लोग कहते हैं : “हाँ हम वही लोग हैं | देखो, हमने तुम्हें मना किया था कि ज्यादा पेड़ मत काटो, लेकिन तुम फिर भी नहीं माने। अब देखो बाढ़ भी आ गई, जगह-जगह प्रदूषण फैला हुआ है और पास का पानी भी सूख चुका है | यह सब तुम्हारे पेड़ काटने की वजह से हुआ है | पेड़ हमारे लिए वरदान से काम नहीं हैं | ये बाढ़ नहीं आने देते, प्रदूषण कम करते हैं, हवा साफ़ रखते हैं, पानी को इकठ्ठा करके रखते है | तुमने तो सब पेड़ काट दिए,अब बताओ तुम क्या करोगे | “
वह कहता है : “मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, अब मैं इसका पश्चाताप कर रहा हूं, आप ही बताओ अब मैं क्या करूं|”
वे बताते हैं : “तुम याद करो कि तुमने कितने पेड़ काटे थे और अब उसके दोगुना पेड़ तुरंत लगाओ जिससे जल्दी से जल्दी पहले जैसी स्थिति बन जाए और तुम्हारी सारी परेशानियां खत्म हो जाए | “
वह आदमी कहता है : “ठीक है, मै अब ऐसा ही करूँगा| “
वह आदमी पेड़ लगाना शुरू करता है और अपनेआप से कहता है : “अब मैं पेड़ जरूर लगाऊँगा और एक भी पेड़ नहीं काटूंगा और दूसरे लोगों से भी कहूंगा कि वह भी पेड़ को ना काटे | बल्कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं |”
अगले दृश्य में सभी लोग यह कहते हैं : “यदि हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखेंगे, अधिक से अधिक पेड़ लगाएंगे तभी हम असली में हम स्वतंत्र कहलाएंगे, क्योंकि हम ऐसे ही अपने नागरिक होने का फर्ज निभाएंगे| “
“भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय”——– “15 अगस्त अमर रहे”
—————————————– – चंद्रभूषण सिंह , लेखक